कुंठा
मन में इतनी कुंठा पाली है
इसलिए तन मन हुआ भारी है
जोंक जैसी है मन की कुंठा
पैदा करती है भांति भांति शंका
पल भर आगे धकेल पीछे लाए
तू तू और मै मै में भेजा लगाए
रोक सार्थक बातों के अन्य अवसर
जरा सी चहुँ ओर लगाए चक्कर
उबारा अपने को बहुत कुंठा से
न उबार सकी घनघोर शंका से
मस्तिष्क हो गया है मटमैला
एकाकी जीवन में जा धकेला