— कि तुम नाराज हो जाओगे —
जब तक था अपना मतलब
बिना थमे, बिना रुके आ जाते थे
सन्देश हर रोज ,
मुझ तक
आज ओन लाइन होकर भी
कुछ कह नही पाते हो
इसी लिए चुप रहता हूँ,
कि तुम
नाराज हो जाओगे !!
जब तक रहता है आकर्षण
तब तक तुम नजर आओगे
ढलने लगेगा , जिस्म जब
किसी के काम भी न आओगे
बस यही सच नही कह पाया
कि कहीं तुम नाराज हो जाओगे !!
ऐसा नही है , कि फुर्सत नही
अब तुम्हारे पास कुछ कहने की
बहुत सी बातों पर , तुम
कहीं न कहीं नजर आ जाते हो
मुझ तक नही लिख पाते
यही दस्तूर है शायद जमाने का
फिर मेरे मन ने कुछ कहा
तो तुम नाराज हो जाओगे !!
हर शख्स आजकल मशगूल है
करता है मतलब की बातें
और कहता व्यस्तता मेरी
बहुत मशहूर है
बस मेरे लिए समय कहाँ
कि एक लफ्ज भी लिख डालो
बहाने हैं तुम में बहुत
आज कुछ कहूँगा, तो फिर
तुम नाराज हो जाओगे !!
तुम नाराज हो जाओगे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ