किसे कर्म कहें!
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किसे कर्म कहें?
भारत को या महाभारत को?
गीता ने पार्थ को जो बताया?
अर्जुन का अनुशरण?
दुर्योद्धन का असत्य घोषित सच्चा कथन?
युधिष्ठिर का निर्णय जुए का?
दु:शासन का चीर-हरण?
भीष्म का प्रतिज्ञा-धारण?
भीष्म का ही अपहरण-सुख।
कर्ण का क्षोभ में भर, लिया हुआ प्रण?
महाभारत की हत्यात्मक क्रियाएँ?
धृतराष्ट्र का राष्ट्र प्रेम।
शकुनि की धूर्त कुटिलता?
कृष्ण का स्वयं में देखना ईश्वर?
कुंती की प्रणय लोलुपता?
सत्यवती का वंश-हठ।
इनमें से कोई एक कर्म यदि होता अकर्म!
अहंकारों का टकराव।
सभ्यता की रणनैतिक उन्नति।
सभ्यता ही का सांस्कृतिक अवसाद।
हथियारों की नई खोजें।
इन खोजों का रोजगार-सृजन।
ज्ञान का अतार्किक विकास।
विवेक का अतिशय दखल।
बलराम की तटस्थता।
युद्ध महाभारत का नहीं होता स्यात् ।
स्थिति बदली नहीं।
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