किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
मैं हंसों की तरह तालाब को अब मर के छोड़ूँगा
मुझे मालूम है सय्याद ने लूटा चमन को है
ये वादा है चमन आबाद ही अब कर के छोड़ूँगा
तरस आता है मुझको भी परिंदों की असीरी पर
परिंदे मैं सभी आज़ाद ही अब कर के छोड़ूँगा
हो जिसके पास ही कुछ भी नहीं अपना बचाने को
वो मुझसे कह रहा बर्बाद ही अब कर के छोड़ूँगा
~अंसार एटवी