किसी ज्योति ने मुझको यूं जीवन दिया
किसी ज्योति ने मुझको , यूँ जीवन दिया ।
गुम अंधेरों में था , मुझको रोशन किया ।।
किसी ज्योति ने मुझको ———————–।
पैदा उस घर हुआ , थी गरीबी जहाँ ।
कांटे थे हर कदम , नहीं सुविधा जहाँ ।।
जीवन खुशियों से शिक्षा ने ,भर तब दिया ।
किसी ज्योति ने मुझको ———————-।
जग की रस्मों – रिवाजों से अंजान था ।
ना कोई शौक था , इतना नादान था ।।
कुछ सपनों ने मुझको , जगा तब दिया ।
किसी ज्योति ने मुझको ——————-।
महके गुलशन मेरा, ऐसा हमदम मिले ।
घर हो आबाद मेरा ,प्यार खुशियां मिले ।।
मुकम्मल मेरे सपनों को, उसने कर दिया ।
किसी ज्योति ने मुझको ———————–।
(स्वरचित & स्वलिखित – गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद )