!!! किसी गफलत में न रह!!!
तेरे खूबसूरत बदन से
क्या लेना मुझ को
जब तेरे अंदर के भाव
ही नहीं अछे हैं
यह तो फनाह है
मिल जाना है यही पर
इक दिन बिन कुछ कहे
पल भी नहीं लगेगा
बुझने में इस दिए को
बस याद रख
खुबसूरत बनाना
है तो बना इस दिल को
जिस के मुस्कुराने से
किसी का घर इस में
पल में बन जाए
कर्म ही हैं जो
चले जाएंगे साथ
छोड़ के इस धरा को
किसी गफलत में
न बैठ तू
वहीँ तो करेंगे
तेरे सब दिन सुनहरे
देख खुद को दर्पण में
और पूछ उस से
कभी यूं ही
की क्या इस खूबसूरती का
चाहना, किसी कर्मों से
कम नहीं है क्या …..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ