किसी की साजिश है !
किसी की साजिश है की,
मुद्दे बुनियादी बदल दिये जाएं,
सवाल सवालों से हल किए जाएं।
इश्तहारों से भ्रम फैलाया जाए,
प्रचार से लोगों को बहकाया जाए।
लोग नशे में इस कदर खोए रहें,
आग लगे शहर में और वो सोए रहें।
मजहब का उन्माद यूं फैलाया जाए,
भाई को भाई से अब लड़ाया जाए।
किसी की साजिश है की,
राम रहीम पर ही अब तो चर्चा हो,
मंदिर के चंदे का घर घर पर्चा हो।
महंगाई को भी सही बताया जाए,
देश हित में सबकुछ जताया जाए।
शहरों के नाम भी बदल दिए जाएं,
रंग दीवारों पर नए भर दिए जाएं।
धर्म का भी खूब प्रचार प्रसार हो,
मंदिरों का भी अब विस्तार हो।
किसी की साजिश है की,
निजीकरण को नया नाम दिया जाए,
सरकारी सम्पत्ति नीलाम किया जाए।
हर निर्णय को रिफॉर्म बताया जाए,
अर्थव्यवस्था का सुधार जताया जाए।
सेना के शौर्य का भी अब इस्तेमाल हो,
राजनीति के लिए सेना पर सवाल हो।
देशभक्ति का प्रमाण सबसे मांगा जाए,
राष्ट्रभक्ति, पारा लगा कर जांचा जाए।
किसी की साजिश है की,
महंगाई रोजगार पर बात न हो,
शिक्षा स्वास्थ पर संवाद न हो।
युवा नशे में दिन रात सोए रहें,
वाट्सएप की दुनिया में खोए रहें।
नया मुल्क इस कदर बनाया जाए,
इतिहास को फिर से पढ़ाया जाए।
जो तथ्य हमें नहीं हों मंजूर,
उन पन्नो को किताबों से हटाया जाए।