किसी इंतजार में
किसी इंतजार में _________________ किसी इंतजार में।
दिलमें कहीं राज छुपाये खामोश सा समां है रात अभी बाकी है आंखोंमें धूलसी जमी है
किसी इंतजार में।
इंतजार है सुबह का उम्मीदों को आस नहीं फिर भी डर है कहीं सूरज न डूब जाये किसी इंतजार में।
गुजरा हूं उस गली से
जो अंत बन चुकी है
उस अंत की गली में जीवन ठहरा हुआ है किसी इंतजार में।
गुजरे हुए समांकी हवायें बह रही है
यादोंके बोझमें अब नदियां बह रही है किसी इंतजार में। शब्दों को जोड करके
कुछ दर्द गमों का निर्माण कर रहें हैं अल्फ़ाज़ याद आ रहे है किसी इंतजार में। तारें कुछ टूट गये है कुछ गिर गिरकर गिर गये है आस्मा से फिर भी बरसात हो रही है किसी इंतजार में।
कुछ राज छोड़ करके सब कुछ समझ गया हूं
कुछ टूटे हुये सपनों को सच समझ गया हूं किसी इंतजार में।
❤ ठाकुर छतवाणी
( श्री मित्रा जसोदा पुत्र )