किसान का उम्मीद
जागो रे मज़दूर किसान,
रात गई अब हुआ बिहान।
किरनों की आहट पाकर ,कलियों ने आँखें खोलीं है।
ताक़त नई हवा से पाकर ,गूंगी लहरें भी बोलीं है।
चलो साथियों चलो ,कि अपनी मंज़िल बहुत कड़ी है।
तोड़ने का घमंड ,अब सोई हुई सत्ता की बारी है।
चलो साथियो बढ़ो ,कि होनी अन्तिम विजय हमारी है।
चलो साथियो तुम्हे जगाना है ,पूरा हिन्दुस्तान
सर पर कफ़न ,हथेली पर रख लो अब अपनी जान।
जागो रे मज़दूर किसान ,रात गई अब हुआ बिहान ।।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव