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28 Nov 2021 · 1 min read

किसान और धरती

बंजर धरती पर टिकी है ,
दो हसरत भरी निगाहें।
तो कभी आसमान की और ,
देखती उम्मीद भरी निगाहें।
की शायद कोई कतरा को,
बादलों से गिरने की मिल जाए राहें ।
बस कुछ बूंदें !
जिससे इस धरती की
प्यास मिट जाये,
“उस” तक पहुंच जाए
धरती की आहे ।

मगर अफसोस !
बादल आये भी ,
मगर नियति की हवा
उन्हें उड़ा ले गई ।
ना पूरी हुई धरती और
किसान की चाहें ।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 291 Views
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