किसको समझाएं क्यों समझाएं
**किसको समझाएं क्यों समझाएं**
कब तक आवाज दबाओगे
वह दबती नहीं
उठती है।
जब मर्यादा गायब हो
एक रूप रह जाता है
शासन तंत्र की गुलामी ही
बस उसका स्वरूप बन जाता है
आदि से लेकर अब तक जो भी चला
वह होता है
लेकिन दुष्कर्मी दुर्जय हर बार है
जीवित रहता है
शासन जब हाथों में आता
वह दुष्ट पापी बन जाता है
अपना ही सर्वे सर्वा है
ऐसा जग को समझाता है
कब तक समझाएगा
वो एक दिन तो ऐसा आएगा
खुली आंखों की मोती से
उसका रूप गिर जाएगा
फिर कौन हितैषी उसका होगा
फिर लात सब मारेंगे
वह मरने कोशिश करने वाला भी
तड़प तड़प कर मरने की कोशिश करेगा
पर नहीं होगा
अहंकार हमेशा ले डूबा है
रावण का ले लो तुम
अब बहरूपिया ले लो
नहीं बचा किसी का
सत्य हमेशा जीवित है
वह हमेशा जीवित है
जो भूल गया अस्तित्व ही अपना
वह क्या कर पाएगा
फिर कोई आपस में ही
बस लड़ा जाएगा
ऐसे को मानव कहना भी
मानव का अपमान है
सच कहता हूं
चौराहे पर आज
फांसी का ठेला है
लोकतंत्र के खातिर नौछावर
नौजवान हुए
लोकतंत्र को मारना ही
अंधभक्त जवान हुए
अंतर को समझे और समझाएगा
कौन ????
विश्व विदित का सपना है
विश्व विजेता बनने वाला मूर्खों का रेला है।
कब तक आवाज दबाओगे
वह दबती नहीं
उठती है।
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा