किसकी किसकी कैसी फितरत
“फितरत”
किसकी किसकी है कैसी फितरत, ये उसका स्वभाव बताता है।।
किसी के हृदय में गैरों के लिए भी अपनत्व, कोई अपनों से भी बैर जताता है।।
किसी की कौवे सी कर्कश बोली, तो कोई कोयल सा मीठा गाता है।।
कोई दूसरों के गम में भी होता उदास, तो कोई अपने भाग्य पर इठलाता है।।
कोई अपने मतलब से है जीता, तो कोई दूसरों के लिए जीवन बिताता है।।
सामने रहने पर मीठी वाणी, पलटते ही दिखती नफरत।।
चार दिनों का है ये जीवन, इसमें भी क्यों है ऐसी फितरत।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर
रायपुर, छत्तीसगढ़