Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2019 · 1 min read

किरदार निखर गया होता !

अपनी सारी हदों से में भी गुजर गया होता,
सियासत में होता तो ज़मीर मर गया होता।

फिर्कों की नहीं करता इंसानियत की बात,
तेरा किरदार और भी निखर गया होता

शुक्र है होशमंदों का किरदार बाक़ी है,
वरना मुल्क का शीराजा बिखर गया होता।

मुझे भी मयस्सर न होती वतन की मिट्टी,
धमकियों से उसकी अगर डर गया होता।

सर कटाने की कीमत तुम्हें भी पता होती,
तुम्हारे घर से अगर कोई सर गया होता।

खुदगर्ज़ी छोड़ने भर की ही तो बात थी،
यह चमन अपना यकीनन संवर गया होता।

सियासी देन है मंदिर-मस्जिद का मस अला
यह बदनुमा ज़ख्म कभी का भर गया होता।

हमारी सूझबूझ से कायम हैं रौनकें सारी,
वरना घरौंदा कब का बिखर गया होता

किसी को पाने की खातिर ही तो जिंदा हूं,
यह तलब भी न होती तो मर गया होता।

2 Likes · 252 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
चित्र आधारित दो कुंडलियाँ
गुमनाम 'बाबा'
यादें
यादें
Dipak Kumar "Girja"
3232.*पूर्णिका*
3232.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अमीरों की गलियों में
अमीरों की गलियों में
gurudeenverma198
मानवता का मुखड़ा
मानवता का मुखड़ा
Seema Garg
मेरी किस्मत पे हंसने वालों कब तलक हंसते रहोगे
मेरी किस्मत पे हंसने वालों कब तलक हंसते रहोगे
Phool gufran
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
Neelofar Khan
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
है बात मेरे दिल की दिल तुम पे ही आया है।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
मेरी प्यारी अभिसारी हिंदी......!
Neelam Sharma
😢कड़वा सच😢
😢कड़वा सच😢
*प्रणय*
चार पैसे भी नही....
चार पैसे भी नही....
Vijay kumar Pandey
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
त्योहारों का देश
त्योहारों का देश
surenderpal vaidya
बातों की कोई उम्र नहीं होती
बातों की कोई उम्र नहीं होती
Meera Thakur
*शरीर : आठ दोहे*
*शरीर : आठ दोहे*
Ravi Prakash
मेरे जीतने के बाद बहुत आएंगे
मेरे जीतने के बाद बहुत आएंगे
Ankita Patel
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
रावण जलाने का इरादा लेकर निकला था कल
Ranjeet kumar patre
परिवार का बदलता रूप
परिवार का बदलता रूप
पूर्वार्थ
नफरत के कारोबारियों में प्यार बांटता हूं।
नफरत के कारोबारियों में प्यार बांटता हूं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वो और राजनीति
वो और राजनीति
Sanjay ' शून्य'
बस करो, कितना गिरोगे...
बस करो, कितना गिरोगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"जगदलपुर"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
sushil sarna
खुद को खुद से मिलाना है,
खुद को खुद से मिलाना है,
Bindesh kumar jha
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
श्याम भजन -छमाछम यूँ ही हालूँगी
अरविंद भारद्वाज
कौन सा रास्ता अपनाओगे,
कौन सा रास्ता अपनाओगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहानी, बबीता की ।
कहानी, बबीता की ।
Rakesh Bahanwal
🌹 *गुरु चरणों की धूल* 🌹
🌹 *गुरु चरणों की धूल* 🌹
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...