किन्नर
इस शब्द को उन्होंने चुना नहीं था,
लेकिन इसे पहचान बना कर उनपे थोप दिया जाता है।
बिना उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को जाने,
इस समाज से उन्हें ठुकरा दिया जाता है।
एक अर्थहीन घृणा की बिनाह पर,
एक इंसान से उसकी इंसानियत को छीन लिया जाता है ।
उनके प्रति जो घृणा उत्पन्न की जाती है,
उसी से उन्हें अपनी जीविका चलाने पे मजबूर कर दिया जाता है।
हम एक ऐसे समाज में रहते हैं,
जहाँ एक मनुष्य को मनुष्य मानने से इंकार कर दिया जाता है।
– सिद्धांत शर्मा