किन्नर समाज
A respectable poem for LGBTQ community. I support LGBTQ ?.
इस समाज मै एक अनोखी विशेषता निभाते हैं,
सबसे अलग जिंदगी जीने का तरीका जानते हैं,
दर्द नहीं दुआ में सबकी खुशी मांगते हैं,
मगर फिर भी हम सब से अलग कहलाते हैं।
क्यों नहीं मिली वह इज्जत,
जो इन लोगों से भीक में मांगा करते हैं,
सब की खुशी में अपनी खुशी ढूंढ लेते हैं,
मगर फिर भी हम सबसे अलग कहलाते हैं।
हम अपने आप में अनोखे हैं यह कहे जाते हैं,
पूरी जिंदगी दूसरों को दुआ देने में बिता देते हैं,
अपने लिए कुछ भी नहीं मांगा करते है,
मगर फिर भी हम सब से अलग कहलाते हैं।
हर पवित्र कार्य में खुशहाली भरने आया करते हैं,
तालियां बजाकर अपनी उत्साह को प्रकट करते हैं,
अर्धनारीश्वर का भी रूप कहे जाते हैं,
मगर फिर भी हम सबसे अलग कहां लाया करते हैं।