Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2020 · 1 min read

किन्नर समाज

A respectable poem for LGBTQ community. I support LGBTQ ?.

इस समाज मै एक अनोखी विशेषता निभाते हैं,
सबसे अलग जिंदगी जीने का तरीका जानते हैं,
दर्द नहीं दुआ में सबकी खुशी मांगते हैं,
मगर फिर भी हम सब से अलग कहलाते हैं।

क्यों नहीं मिली वह इज्जत,
जो इन लोगों से भीक में मांगा करते हैं,
सब की खुशी में अपनी खुशी ढूंढ लेते हैं,
मगर फिर भी हम सबसे अलग कहलाते हैं।

हम अपने आप में अनोखे हैं यह कहे जाते हैं,
पूरी जिंदगी दूसरों को दुआ देने में बिता देते हैं,
अपने लिए कुछ भी नहीं मांगा करते है,
मगर फिर भी हम सब से अलग कहलाते हैं।

हर पवित्र कार्य में खुशहाली भरने आया करते हैं,
तालियां बजाकर अपनी उत्साह को प्रकट करते हैं,
अर्धनारीश्वर का भी रूप कहे जाते हैं,
मगर फिर भी हम सबसे अलग कहां लाया करते हैं।

Language: Hindi
1 Like · 709 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
तत्क्षण
तत्क्षण
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
4156.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
*दोहा*
*दोहा*
*प्रणय*
"बातों से पहचान"
Yogendra Chaturwedi
" आज़ का आदमी "
Chunnu Lal Gupta
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
Suryakant Dwivedi
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
sushil yadav
" रहस्मयी आत्मा "
Dr Meenu Poonia
पुरखों की याद🙏🙏
पुरखों की याद🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बनारस की ढलती शाम,
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
*सत्संग शिरोमणि रवींद्र भूषण गर्ग*
Ravi Prakash
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
भूखा कैसे रहेगा कोई ।
Rj Anand Prajapati
शापित है यह जीवन अपना।
शापित है यह जीवन अपना।
Arvind trivedi
आज तुम्हारे होंठों का स्वाद फिर याद आया ज़िंदगी को थोड़ा रोक क
आज तुम्हारे होंठों का स्वाद फिर याद आया ज़िंदगी को थोड़ा रोक क
पूर्वार्थ
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
DrLakshman Jha Parimal
हाँ, तैयार हूँ मैं
हाँ, तैयार हूँ मैं
gurudeenverma198
मैं बेबस सा एक
मैं बेबस सा एक "परिंदा"
पंकज परिंदा
एक औरत की ख्वाहिश,
एक औरत की ख्वाहिश,
Shweta Soni
होना जरूरी होता है हर रिश्ते में विश्वास का
होना जरूरी होता है हर रिश्ते में विश्वास का
Mangilal 713
" लक्ष्य "
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कृति
संस्कृति
Abhijeet
*हे शिव शंकर त्रिपुरारी,हर जगह तुम ही तुम हो*
*हे शिव शंकर त्रिपुरारी,हर जगह तुम ही तुम हो*
sudhir kumar
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
जीवन और जिंदगी में लकड़ियां ही
Neeraj Agarwal
मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्यारा सा स्कूल
प्यारा सा स्कूल
Santosh kumar Miri
Loading...