किधर जायेगा
मंज़र मुसाफिर का किधर जायेगा
होगा अपना जिधर, उधर जायेगा
सवाल अस्मिता का बना डाला है
लगता है कि लाडला सुधर जायेगा
तुम आओ तो पहले बैठेंगे हम भी
रोशनी हो जायेगी, नजर जायेगा
मुकम्मल होती हैं उन्हें ही मंज़िल
जिनकी किस्मत का डगर जायेगा
संगे दिल हैं बहुत मेरे, सब जानते
यावि संग सिर्फ़ हम सफ़र जायेगा