‘पुस्तक’
वह दोस्त,साथी,हमसफ़र
ऐसा गहरा सागर
जिसमें डूबने के बाद
बाहर आना लगभव असंभव
जितने गोते इसकी गहराईयों में लगाएंगे,
अपने आप को उतना ही ऊपर पाएँगे।
इसकी अथाह गहराईयों में,
जाने कितने रहस्य,रोमांच और तथ्य हैं।
सभी मन की उत्तेजनाओं को शांत कर देने वालें हैं।
पुस्तक वह आईना है,
जो हमें जीवन रूपी चेहरे को साफ – साफ देखने में मदद करती है।
पुस्तक वह अथाह सागर है,
जिसकी गहराईयों का कोई अंत नहीं।
पुस्तक वह अग्नि है,
जिसमें तपकर निखार आ जाए।
पुस्तक वह साथी है,
जिसका साथ जीवन के किसी भी मोड़ पर छूट नहीं सकता।
पुस्तक वह हमसफर है,
जो जीवन भर साथ निभाता है।
पुस्तक वह दोस्त है,
जो कभी झूठ बोलना नहीं सिखाता।
पुस्तक वह किरण है,
जिसके स्पर्श मात्र से खिल उठतें हैं हम।
पुस्तक वह पुष्प है,
जिसकी ख़ुशबू अनंन्त है।
पुस्तक वह सूर्य है,
जिसकी रौशनी कभी झिलमिला नहीं सकती।
पुस्तक वह जुगनू है,
जो लघु होते हुए भी,
अपने भीतर न जाने
कितने उजालों को साथ लिए फिरता है।
पुस्तक वह वृक्ष है,
जिसकी शीतल छाया में
न जाने कितनी उम्र बीत जाए।
गरीबों का रोज़गार है ये
बुढ़ापे की लाठी है ये
बच्चों की खुशी है इसमें
बड़ों का प्यार है इसमें
बुजुर्गों का आशीर्वाद है इसमें।
सोनी सिंह
बोकारो(झारखण्ड)