*किताब*
कड़ी-कड़ी जुड़कर ही बनती है जंजीर सभी,
अक्षर-अक्षर जुड़कर ही बनती है तकदीर सभी,
मूल्य बड़ा ही होता है,
जीवन के संचालन में,
पन्नों में ही गीत छुपा है,
उज्जवल भविष्य के परिचालन में,
विजय शिखर पर पहुंचने का, मूल स्रोत आधार यही,
अक्षर अच्छा जुड़कर ही बनती है तकदीर सभी।
परिधान बदल गया इसका,
व्यवहार कभी ना बदला,
पाषाण पर अंकित होने पर भी,
गुणखान कभी ना बदला,
पत्र पर उभरे सुंदरता से,
व्याख्यान कभी ना बदला,
ताम पत्र हो या सुंदर पन्ने ज्ञान का करते विस्तार सभी,
अक्षर अक्षर जुड़कर ही बनती है तकदीर सभी।
आधुनिकता की होड़ चली है,
पुस्तकों में भी क्रांति बड़ी है,
अनगिनत किताबों को यूं ही, जेबों में रखा जाता है, पुस्तकालय की अलमारी को, दूर से देखा जाता है।
बहुत बदल जाता है मानव,
जब मूल को भूल जाता है।
ऐसे बदलाव में भी ज्ञान धरोहर को बनाए रखना,
जैसे बूढ़े मां-बाप का साथ संजोए रखना।
किताब संजोए रखना।
किताब संजोए रखना।।