किताब
शीर्षक – किताब
***************
सच तो जीवन एक किताब है।
किताब तो हम सबकी जिंदगी है।
नहीं न तुम बस हमसफ़र के साथ हैं।
चाहत और मोहब्बत मन भावों का भाव है।
बस हम सभी की सोच बस एक किताब हैं।
हर पन्ने पर पर तो शब्दों के भाव लिखें है।
आज हम अपने स्वार्थ के साथ रहते हैं।
बस उम्मीद और आशाओं के साथ हैं।
खुशी और गम तो हमारे साथ हैं।
बस हमारे तुम्हारे जीवन के साथ हैं।
हां सोच तो यही हमारी किताब हैं।
बस समय और समाज के हम साथ हैं।
बस यही तो जिंदगी की किताब हैं।
*******************
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र