कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
बागी ये गद्दार देश के, कर न सकें इंसाफ।
आए जब-जब समय चुनावी, लगें खेलने फाग,
आँखें मल-मल देखें दुनिया, भरी नींद से जाग।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
बागी ये गद्दार देश के, कर न सकें इंसाफ।
आए जब-जब समय चुनावी, लगें खेलने फाग,
आँखें मल-मल देखें दुनिया, भरी नींद से जाग।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद