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14 Feb 2024 · 1 min read

कितनी राहें

एक मोड़ पर कितनी राहें
एक दृष्टि में दृश्य हजारों
किधर चलें और किसको देखें
किसकी ओर फैलाये बाहें।

मेरे अंतस की चाह समझ
जो दिव्य दृष्टि दे जाता है।
हर भटकन पर हाथ पकड़
वो सही राह दिखलाता है।

जीवन की अभिलाषा में जब
विचलित होकर रोता हूँ।
तब उसकी पावन अनुकंपा से
अपने सम्मुख होता हूँ।

Language: Hindi
79 Views
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