कितना वो गरीब हुआ करता था
गुजरा जब मै उस बस्ती से
जहां वो रहा करता था
रोंगटे मेरे खड़े हो गये
कैसे वो जिया करता था ।
धुंए से भरी झोंपड़ी मे
गिनती का समान हुआ करता था
चूल्हे पे बनी रोटी को
अचार साथ वो खाया करता था ।
ढूंढता हूं उसको हर जगह
जहां वो जाया करता था
न जाने कहां गुम हो गया
दोस्त वो मेरा हुआ करता था ।
दोस्तों की पार्टी को
व्रत है कह कर टाल दिया करता था
रोया था हर दोस्त जब बताया था उसने
कितना वो गरीब हुआ करता था ।।
राज विग