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1 Aug 2021 · 1 min read

कितना प्यारा रूप लुभावन….

कितना प्यारा रूप लुभावन
चंद्रवलय- सा मुख मनभावन !

स्मित-चाँदनी फैली लबों पर
शुभ्र,धवल क्या इससे पावन !

नयन – चकोर लगे दर तेरे
बिछी चाँदनी मन के आँगन !

भींज उठता मन सिहर-सिहर
झरे नयन से नेह भर सावन !

एक झलक जो पा लूँ तेरी
भरे खुशी से मेरा दामन !

– © सीमा अग्रवाल
“काव्य पथ” से

Language: Hindi
3 Likes · 360 Views
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