कितना दर्द सिमट कर।
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चिता की अग्नि ने तुम्हें जब जलाया होगा,
कितना दर्द सिमट कर तुम्हारे हिस्से यूँ आया होगा।।
आह तो निकली होगी तुम्हारे मुँह से दर्द की,
पर तुमने उठकर ना किसी को ये सब बताया होगा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
चिता की अग्नि ने तुम्हें जब जलाया होगा,
कितना दर्द सिमट कर तुम्हारे हिस्से यूँ आया होगा।।
आह तो निकली होगी तुम्हारे मुँह से दर्द की,
पर तुमने उठकर ना किसी को ये सब बताया होगा।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️