कितना गलत कितना सही
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जबरदस्त शिकायत करते हुए एक ग्राहक ने ब्लैक मार्केट के उस दुकानदार को कहा- क्या खाक घासलेट बेचते हो, समझ नहीं आता। एक तो ऊँचा दाम लेते हो, ऊपर से उस घासलेट से पत्नी की साड़ी तक नहीं जली।
दुकानदार समझ नहीं पाया कि उनका धंधा कितना गलत और कितना सही है? क्या आपके पास कोई जवाब है?
(लघुकथा-संग्रह : मृगतृष्णा (दलहा, भाग-2 से)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट राइटर अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।