अधूरा प्रेम
कितना कुछ अनकहा रह गया
कितनी कुछ अनकही बाते थी
कितनी कुछ अनकही सौगाते थी
ना तुम मेरे दिल का कुछ समझे थे
ना मैने तेरे दिल का कुछ जाना था
बाते कुछ अधूरी थी कुछ पूरी थी
दिन रात बस सुलगते जज़्बात थे
ना तुम मुझसे कुछ कह पाई थी
ना मै तुमको कभी कुछ बता पाया था
तेरी मेरी कुछ अधूरी प्रेम कहानी थी
जिसे ना तुम पूरा पढ़ पाई थी
ना मैं ही पूरा लिख पाया था