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25 Jan 2024 · 1 min read

काश…….

मेरे एहसासों को कोई लफ़्ज़ बनाकर पढ़े,
काश कोई मुझे अपने सीने से लगाकर रखे।

डर है की कहीं तन्हाईयां निगल न लें मुझे,
काश कोई मुझे अपना शहर बनाकर रखे।

मेरी आंखों की गहराइयों को कोई इतना भरे,
काश कोई मुझे अपना समंदर बनाकर रखे ।

की समेट ले कोई मुझे मोतियों की तरह,
काश कोई मुझे अपनी माला बनाकर रखे।

ख़ामोश हैं लब कोई मेरी धड़कनों को सुने,
काश कोई मुझे अपना दिल बनाकर रखे।

सांसे तो मेहदूद हैं थम जाएंगी एक दिन,
काश कोई मुझे अपनी रूह बनाकर रखे।

मेरे एहसासों को कोई लफ़्ज़ बनाकर पढ़े,
काश कोई मुझे अपने सीने से लगाकर रखे।

फायज़ा🥀

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