“काश हम”
मैं, मैं ही रही
तुम, तुम ही रहे,
ना मेरी झिझक गई
ना तुम्हारे कदम बढ़े,
दिल और दिमाग की बगावत
हर बार हुई
जब भी हम रूबरू हुए
दिल में ही रह गई
लबों से बगावत करती हजार बातें ,
हां ये हुआ कि ख्यालों में हम
हर पल तेरे ही रहे ,
क्यों ना तोड़ दें सारे हदों को अब
हम “हम” हो जाएं मैं और तुम ना रहें ।