काश हम लोहार होते
काश हम लुहार होते
दे पैनापन कलम को
तलवार बनाते
कर पैना विचारों को
भट्टी की ज्वाला में
कलम से भाव जगाते
दिल के संग दिमागों में आग लगाते
करते पैना कलम को
जैसे होते तलवार
होते लक्ष्य में एकाग्रता
जैसे मछली की आंख
दहकते कलम विचारों के
जैसे जलते अंगारे
शब्दों में बिजली होती
जैसे उमड़ते बादल
मन के ऊंचे भाव होते
शब्द में होती शक्ति अपार
सूर्य की तरह चमकते शब्द
बादल बन बरसती जाती
काश हम लुहार होते
भट्टी से अक्षरों की चिंगारी निकलती
कलम उगलती आग