काश! मैं भी तुमसे कह पाता
मैं लिखना तो नहीं चाहता पर तुम्हारी यादों ने लिखने के लिए मजबूर कर दिया। तुम से बिछड़े 6 साल हो गए, लेकिन वे यादें अभी मेरे साथ हैं, जब तुम स्कूल टाइम में अपना लंच मेरे साथ शेयर करती थी। मैं तो जानबूझकर अपना लंच बॉक्स नहीं लाता था, क्योंकि तुम्हारी दी हुई हर एक चीज मुझे अच्छी लगती थी। आज भी जब कभी डायरी लिखने बैठता हूं तो मेरी कलम थम- सी जाती है । यादें फिर से उसी स्कूल में ले जाती जहां तुम हमेशा मेरी होमवर्क वाली डायरी लिखा करती थी। आज भी गलियों से गुजरते वक्त धड़कने बढ़-सी जाती हैं। आज भी तुम मिली थी, लेकिन तुमसे कुछ कह ना पाया। काश मेरे दिल की भी जुबान होती तो मैं भी अनजाना न होता। मुमकिन होता कि तुम मेरी यादों में आकर समझ जाती। बस यादें ही तो है ,जो हमेशा एहसास दिलाती है कि तुम मेरे पास हो।
तुमको पाने की चाहत इतनी बढ़ गई है जितनी तुम्हें खोने से पहले नहीं थी।
देखो मैं तुम्हें फिर से खत लिख रहा हूं जानती हो क्यों ? क्योंकि मैं तुमसे दूर हूं और जब भी मैं तुमसे दूर होता हूं तुम्हें अपने और भी करीब महसूस करता हूं। तुम हर वक्त मेरे जेहन में होती हो और मैं बिना तुम्हारे किसी भी प्रत्त्युर के तुमसे कुछ न कुछ बातें करता रहता हूं।
जिस पल मैं तुमसे दूर होता हूं मेरी प्रिय, मैं अपने भीतर प्रेम की शिद्दत को फिर से महसूस करता हूं, मुझे महसूस होता है कि मैं कुछ हूं।
इस दुनिया में बहुत सारी लड़कियां हैं ,बहुत खूबसूरत लड़कियां हैं, लेकिन वो लड़की सिर्फ तुम ही हो जिसके चेहरे में मैं खुद को देख पाता हूं।