काश ! मेरी भी एक बहन होती
आ रहे रक्षाबंधन की याद को लेकर बहन की याद आई। आज अपने पीड़ा को अपने ही कलम से सजाने का प्रयास मेरे द्वारा। मेरा नाम कुमार अनु ओझा।
? काश! मेरी भी एक बहन होती।
सांसे थम गई होश आया तो
कभी कभी मेरी माँ भी है रोती।
सारे सुख दुःख किससे कहूँ
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
शिकवा है तुमसे हे प्रभु
तूने मेरी मन की बात सुनी होती।
कितने सपने सँजोये थे मैंने
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
लोरी सुनाते माँ और हम
माँ की बाहों में वो सोती।
स्वर्ग से सुंदर वो दृश्य होता
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
छोटी बातों पर मुझसे वो लड़ती
कभी तो वो हमसे गुस्सा होती।
पर सारे सपने खाक हुए
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
खिंचते उसके बालो की चोटी
छोटी रहती या मुझसे वो बड़ी होती।
बहन के प्यार को तरसते रहे हम
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
हर गम में सहभागी बनती
जीवन की वो ज्योति होती।
दोस्त, पुत्री और मातृवत बन जाती
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
रक्षाबंधन दिन आँखे बरसती
नजर और कलाई की भेंट जब होती।
स्नेह सूत्र मेरे कलाई पर सजाती
काश! मेरी भी एक बहन होती।।
?कुमार अनु ओझा