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30 Jul 2020 · 1 min read

काश बनाने वाले ने मुझे किताब बनाया होता

काश बनाने वाले ने मुझे किताब बनाया होता
पृष्ठ के बीच जिसके मैंने गुलाब छिपाया होता

जो इजहारे दिल को यूँ बयां करता हर पल ही
रोज मुहब्बत का जिसने हिसाब बताया होता

वह मुझसे कुछ कहती मैं टकाटक देखता रहता
पास आकर उसने जब शबाव लुटाया होता

एकान्त क्षणों की साथी सबसे विश्वसनीय
रहबर
साथ जिसके रह दर्द मैंने अपना बंटाया होता

पढ़ रहा जिसे बचपन से अब तलक हर रोज मैं
सीख अच्छी देकर वक्त मेरा कटाया होता

प्रेयसी से कम नहीं हर फल साथ मेरा देकर
गम के धुंधों को जीवन से जिसने हटाया होता

छांव बनकर साथ मेरा दे असद से मुझे बचाती
पेज से निकाल देखूँ चेहरा प्रिया का समाया होता

Language: Hindi
76 Likes · 1 Comment · 483 Views
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