: काश कोई प्यार को समझ पाता
: काश कोई प्यार को समझ पाता
काश हम दिल की बात कह पाते
सब को अपनी अना प्यारी है
ये ही तो सब से बढ़ी दुश्वारी है
जिस में हम इज़हार कर सकते
अपनी मोहब्बत और वफाओ का
एक वो लम्हां ही सब पे भारी है
जिंदगी की ये सब से बढ़ी लाचारी है
काश कह सकते कभी ये भी
हम तुमसे बहुत प्यार करते है अब भी
ये तो खुदा के बनाये रिश्ते है
हमें इस पे इख्तियार क्या है
कोई ये क्यूँ नहीं समझता
इन से कोई रूठ जाए तो
कोई मना नहीं सकता
कोई झुक भी नहीं सकता
पर जुदा भी हो नहीं सकता
ये हम सब की मजबूरी है
प्यार करना जिंदगी के
लिए बहुत जरूरी है
काश ये भी हो सकता
तुम अपने दिल के अन्दर
की आवाज भी सुनते
दिल जो बराबर कह रहा था
पर तुम ने उस के ऊपर
ज़हन की चलने दी
एक भी उस की बात नहीं मानी
दिल को तुमने खुद ही मारा है
और इस के सिवा क्या चारा है
ये तो सब चलता रहेगा यू ही
आज हम है कल तुम नहीं
पर जिन्होंने डाली है दरमियान
मे दिल को तोड़ने की बाते
देखना उनकी बख़्शीश कोई नहीं
ये जहां भले ही हो उनका
उस जहां में उनका कुछ भी नहीं
सोचते है हम उन को
रब केसे मुआफ करेगा
जिन्होंने रिश्तों को तोड़ा है
और दिलों में दरारे डाली है
अमानतऔ में खयानते की है
उन को अल्लाह ही समझेगा
वो कभी सुर्खरू नहीं होंगे
ना ही अपनी मुराद पायेगे
हम ने तो ये तैय कर लिया है
सब कुछ खुदा पर छोड दिया है
कोई माने या ना माने
बस करो नेकिया बहाओ दरिया में
जो प्यार से मिले मिलों उस से
जो ना मिले तो ना मिलों उस से
शबीनाज