काश कोई पेड़ होता
मैं इंसान की बज़ाय
काश कोई पेड़ होता..
न लिख पाता …
भले ही कविताएं प्रकृति पर
लेकिन मुझे सुकूँ होता
कि तमाम लिखने वालों को
मैं हवा दे पा रहा हूँ
मेरे ख़याल से इससे अच्छा
मेरे लिए कुछ नहीं हो सकता।।
Brijpal Singh
मैं इंसान की बज़ाय
काश कोई पेड़ होता..
न लिख पाता …
भले ही कविताएं प्रकृति पर
लेकिन मुझे सुकूँ होता
कि तमाम लिखने वालों को
मैं हवा दे पा रहा हूँ
मेरे ख़याल से इससे अच्छा
मेरे लिए कुछ नहीं हो सकता।।
Brijpal Singh