काश किसी को…
काश!, किसी को कहकर
बताला सकता अपना
कभी बना सकता यों
जीवन का झूठा सपना।
कहीं नदी के तट पर
बैठ मिले हम होते
कह अपना-अपना दुःख
एक दूजे से रो लेते।
काश!, किसी को कहकर
बताला सकता अपना
कभी बना सकता यों
जीवन का झूठा सपना।
कहीं नदी के तट पर
बैठ मिले हम होते
कह अपना-अपना दुःख
एक दूजे से रो लेते।