काश आंखों में
वक़्त कैसा भी सही शाद
फिर मुझ पर गुज़र जाता ।
काश आंखों में गुज़रे वक़्त का
एक लम्हा ठहर जाता ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
वक़्त कैसा भी सही शाद
फिर मुझ पर गुज़र जाता ।
काश आंखों में गुज़रे वक़्त का
एक लम्हा ठहर जाता ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद