काल के भी भाल पर जो गीत लिख गए
(माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती)
हर आंख के नूर थे,हर दिल अजीज थे
पक्ष और विपक्ष, दोनों के करीब थे
हर दिल को याद आएंगे, वे कालजयी गीत थे
सर्वधर्म समभाव के, हर एक दिल की प्रीत थे
काल के भी भाल पर, वे गीत लिख गए
कोटि-कोटि दिल पर, एक प्रीत लिख गए
मां भारती के नाम थी, जिनकी जिंदगी
राजनीति थी जिसे, ईश्वर की बंदगी
चले गए शरीर से, दिल से न जाने पाएंगे
अटल तो थे अटल, सदियों न भूल पाएंगे
वाणी में थी मिठास, प्यार बेशुमार था
पक्ष और विपक्ष अटल, सबका प्यार था
श्रद्धावनत है धरती, श्रद्धावनत गगन
मां भारती के लाल पर, श्रद्धावनत है जन-जन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी