काल का स्वरूप🙏
काल का स्वरूप🙏
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🕜
बसंत सुहानी सुर रसीला
मधुबन बरखा संग सजीला
गात लचीला विराट स्वरूपा
सौ मयूरी की नाच दिखाता
लपक झपक राधा बरज़ोरी
बड़े मज़े की ये संग सहेली
सुहागनआंगन बाल बिखेरी
खिले धूप प्रकृति रानी की
किशोरीअवस्थाधूप सुहानी
दिन उगा स्वर संगीत छिड़ा है
परदेशी घर की याद में डुबा है
कालचक्र प्रतिपल साथ खड़ा
वादी से चली हवाएँ चुमती है
तारे साज बजा घन बरसाता
शामउषा चाल निशा निराली
दिवा मतवाली मातम छाती
सोच विचार में समय बीताती
चलती पवन कहता मानस में
पगली पगली खुशबु चमेली
बोल ज़रा तूं छोड़ कहाँ चली
वाणी की पाणि फड़क उठता
काल समय सामने खड़ा होता
बीते दिनों की याद सताता है
भारत माँ पर काल मड़राता है
संगीन कुर्बानी शहीद सामने
जोश भर आगे बढ़ने कहता है
तेरे पर आस टिकाया खुशी ने
सहत्र माता पिता भाई बहना है
अकेला नहीं विरान पतझड़ में
मन मांग सजा बैठी सुहागिन
विरह मिलन कीआस लगाई है
विजयी बन मिल सहचर प्यारी
साज सिंदुर माथे पर विंदिया
बालों पर गजरा आंखें कजरारी
सोलह श्रृंगार सजाना आलिंगन
कर समय को देख चलते चलना
समझ बुझ आगे कदम बढ़ाना
समय पहर पल काल वक्त का
आकार प्रकार विविध स्वरूप है
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵
तारकेशवर प्रसाद तरुण