((((काला बादल))))
((((काला बादल))))
सब बिखरा सुनसान पड़ा है,
अकड़ में खोया हर इंसान खड़ा है.
दुनिया बन गयी कुआँ अंधकार का,
उजाले का दीया लिए शैतान खड़ा है।
हिल गयी दुनिया की असलियत,
हर मुल्क सुनसान खड़ा है.
फसे पड़े सब अपने ही जाल में,
मौत का साया सीना तान खड़ा है।
रंगीन दुनिया बेरंग होगयी,
काला बादल आसमान खड़ा है.
धुल गयी सब अहंकार की माया,
इंसान बेबस बेजान खड़ा है।
कुदरत का नही कोई रूप जानता,
टूट गया गुमान सबका,झुका हर
महान खड़ा है.
इसे ही कहते है इंसाफ खुदा का,
आज इंसानियत का तो अपमान
बड़ा है।