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27 Nov 2017 · 1 min read

कालाबाजारी…..

कालाबाजारी………
…………………….

नोट बंद हो गये
अरमानों की जली चिता धू धू कर
सपने सारे खण्ड – खण्ड हो गये।
लगी कतार लम्बी
पैसों के खातीर
कल तक पैसों के बल
रौब जमाने वाले
आज जैसे पस्त हो गये,
सरकार आपने सोचा
चलो समानता बढाते है
अमीर गरीब के बीच दूरी
कुछ तो घटाते हैं,
कालाबाजारी के आगे
ये तर्क अस्त व्यस्त हो गये।
फिर भी एक विश्वास है
सारा देश आपके साथ है
इसी बहाने हम से
राष्ट्र हित अंजाम हो गये।
आपकी सोच सुदृढ़ है
.हमने माना आप कर्मवीर हैं
फिर भी भ्रष्टाचारी मस्त हो गये,
कतार में खड़े थे हम
पहर दो पहर
हम खड़े रहे
वो आये काम कर गये
उनके सिक्के खरे
हमारे खोटे हो गये।
जिनका हित सोचा
वो गरीब खड़े कतार में,
रिश्वतखोर काले धन वाले
सभी लगे व्यापार में
आपके हर दाव का काट
ये समझदार हो गये,
रिश्वत का बजा डंका जी भर
शर्मसार होता रहा सिस्टम
पर ये रिश्वतखोर मालदार हो गये
जोर गरीबोंं पे कम
जोर इनपे डालिऐ
जितना भी हो सके
पर इनके काटिये
वर्ना ये देश बेच खायेंगे
अपना ऊल्लू सीधा करने को
ये कुछ भी कर जायेंगे
काले धन से बड़ी समस्या
इस देश में
कालाबाजारी और भ्रष्टाचार
हो गए
आपके इमानदार अधिकारी
सबकुछ देखते रहे खुले आंख
फिर भी आंख बंद किये
और सो गये।।
……….
©®पं.सचिन शुक्ल
26/11/2016

Language: Hindi
574 Views
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