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24 Jan 2021 · 1 min read

कालचक्र है सबका मालिक

सुन अठलैंहें सबकोई,
मदद करै ना हमको ।
और चिंता लगी रहती है मेरी,
कैसे मान ले सबको ।।

जो कहता है, झूठ कहता है,
कोई नहीं मेरा अपना ।
बस नाम के ये सब रिश्ते हैं,
यह मानकर भूल जाओ सपना ।।

समय ही बतलायेगा,
कौन है मेरा,
कौन है तेरा ।।

झूठी बातों में ना पड़ ।
कालचक्र है सबका मालिक,
सबको लगता इससे डर ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 24/01/2021
समय – 12 : 04 ( दोपहर )
संपर्क – 9065388391

Language: Hindi
1 Comment · 226 Views
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