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5 Apr 2022 · 1 min read

कारवां में जो होते हैं शामिल नहीं।

गज़ल

212…….212…….212…….212
कारवां में जो होते हैं शामिल नहीं।
है कठिन पर असंभव भी मंजिल नहीं।

दौड़ में रह गये हैं जो पीछे अभी,
ये न समझो कि वो कोई काबिल नहीं।

मैं न बैठूं जहाँ, हो न इंसानियत,
वो तुम्हारे भी मतलब की महफ़िल नहीं।

पांव कश्ती के बाहर निकालो तभी,
देख लो आ गया है कि साहिल नहीं।

कैसे बच्चों को छोड़ा तड़पता हुआ,
एक मां के भी सीने मेँ था दिल नहीं।

देश अपना ये आजाद होता नहीं,
होते शेखर भगतसिंह बिस्मिल नहीं।

धर्म रक्षार्थ थामे जो खंजर कभी,
वो है ‘प्रेमी’ सदा कोई कातिल नहीं।

…….. ✍️प्रेमी

1 Like · 243 Views
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