कारवां जिंदगी का।
कुछ इस तरह बढ़ता रहा कारवां जिंदगी का,
न तुमने याद किया और न हमने मुडकर देखा।
हां बस दीवार ही होती रही खड़ी बीच रिश्तों के
दिल में घर किए बैठें है कुछ घाव, बिन किश्तों के
नीलम शर्मा
कुछ इस तरह बढ़ता रहा कारवां जिंदगी का,
न तुमने याद किया और न हमने मुडकर देखा।
हां बस दीवार ही होती रही खड़ी बीच रिश्तों के
दिल में घर किए बैठें है कुछ घाव, बिन किश्तों के
नीलम शर्मा