कारगिल के वीर सपूत
कारगिल के वीर सपूत
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(1)
तिलक लगा, भाल सजा।
ये मेरे वीर,सर पे कफ़न लगा।
घुसपैठियों की बात कर।
कारगिल युद्ध को याद कर।
(2)
योगेंद्र अनुज अमोल विजयंत।
ये थे कारगिल के सुपर हीरो ।
कर चड़ाई टाइगर हिल पर।
दिखा दी साहस अपने दम पर।
(3)
गरज रही थी जब तोपे,
तब बरस रहे थे गोले।
बढ़ते जा रहे थे कदम,
हटते जा रहे थे दुश्मन।
(4)
पाकिस्तान ने जब हार माना,
हिंदुस्तान की तिरंगा लहराया।
कारगिल युद्ध को भाईयो,
विजय दिवस के रूप में मनाया।
(5)
इतिहास के इन पन्नों को,
गर्व से हमें देखना होगा।
कारगिल के वीर सपूतों का,
सदैव नमन करना होगा।
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कवि डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिपरभावना , बलौदाबाजार(छ ग)
मो.8120587822