कायनात के मालिक
ओ कायनात के मालिक कहांं सोया है तूं।
सब कुछ जानता है फिर भी आंखें बंद खोया है तूं।। रास्ता दिया है तो चलना भी सिखा दे तूं।।
मन मे जितना डर है उसको मिटा दे तूं।। मेरी आँखों मे जो जगमग है उसे जानता है तूं।।
मैं शब्दों से जो तस्वीर बनाऊं उसे पहचानता है तूं।।
मैं आगे अब कैसे जाऊं ये बता दे तूं।।
मंजिल को अपनी कैसे पाऊं ये समझा दे तूं।। ठोकरें देकर संभाल भी लेता है तूं।।
हारती हूं जब खुद से हिम्मते भी देता है तूं।। शुरूआत मैं कर चुकी जन्नत दिखा जा तूं।।
ओ कायनात के मालिक कहांं सोया है तूं।।
कृति भाटिया।