कायनात के जर्रे जर्रे में।
कायनात के जर्रे जर्रे में मोहब्बत ही मोहब्बत भरी है।
और तुम कहते हो नफरत के सिवाय कुछ ना कहीं है।।1।।
तुम अपना नज़रिया बदलो इस दुनियाँ को देखने का।
बहारें फूल बिछाए तेरे इस्तगबाल को हरसम्त खड़ी है।।2।।
खुदा हर किसी को जिन्दगी में रहमत से नवाज़ता है।
अकीदा रख खुदाई पे जो हर किसी को यहां मिली है।।3।।
सुख और दुःख एक ही सिक्के के अपने दो पहलू है।
हो खुशियां या गम ये ज़िंदगी दोनो से ही भरी पड़ी है।।4।।
तेरी भी कश्ती को समन्दर का साहिल मिल जाएगा।
अगर तुझको अपनी जिन्दगी सिर्फ बचाने की पड़ी है।।5।।
यूं खुदा की दुनियां में जुनून की कोई हद ना बनी है।
मिल जाएगा सब कुछ अगर दिल में पाने की लगी है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ