Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2021 · 1 min read

कायदे…

छोड़ दी है हमने अब, कामयाब होने की ज़िद
सुना है झूठ के हाथों, बहुत खिताब बिकते हैं…

वो ईमान का दम भरता रहा, झुकी कमर लेकर
सालों जिसके बच्चे, जरूरतों के लिए तरसते हैं…

तुम किस चकाचौंध की बात करते हो ज़नाब
यहाँ के शख्स खंजर लेकर, बाहर निकलते हैं…

मुश्किलों से बचाया है मैंने, अपना दीन-ईमान
घड़ी भर में यहाँ तकदीरों के, फैसले बदलते हैं…

कहने को तो मुट्ठीभर ही, रिश्ते थे दामन में
पर कहाँ दुनियादारी के ये, कायदे संभलते हैं…
– देवश्री पारीक ‘अर्पिता’

1 Like · 665 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
योगी है जरूरी
योगी है जरूरी
Tarang Shukla
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
Kshma Urmila
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
रामायण से सीखिए,
रामायण से सीखिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मां कालरात्रि
मां कालरात्रि
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
પૃથ્વી
પૃથ્વી
Otteri Selvakumar
हे! नव युवको !
हे! नव युवको !
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
उदघोष
उदघोष
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
श्याम सिंह बिष्ट
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
महाप्रलय
महाप्रलय
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
2981.*पूर्णिका*
2981.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
अपने हक की धूप
अपने हक की धूप
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
तारो की चमक ही चाँद की खूबसूरती बढ़ाती है,
तारो की चमक ही चाँद की खूबसूरती बढ़ाती है,
Ranjeet kumar patre
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
जिंदगी का मुसाफ़िर
जिंदगी का मुसाफ़िर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
■ लिख कर रख लो। 👍
■ लिख कर रख लो। 👍
*Author प्रणय प्रभात*
आलोचना
आलोचना
Shekhar Chandra Mitra
वैष्णों भोजन खाइए,
वैष्णों भोजन खाइए,
Satish Srijan
*माँ सरस्वती (चौपाई)*
*माँ सरस्वती (चौपाई)*
Rituraj shivem verma
"खेलों के महत्तम से"
Dr. Kishan tandon kranti
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
* नई दृष्टि-परिदृश्य आकलन, मेरा नित्य बदलता है【गीतिका】*
Ravi Prakash
नौकरी
नौकरी
Aman Sinha
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
खुद की तलाश में।
खुद की तलाश में।
Taj Mohammad
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
Loading...