कामना
गीतिका —
आधार छंद – सार्धमनोरम
मापनी – 2122 2122 2122
समांत – अना, पदांत – है ।
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प्रेम डोरी से तुझे अब बाँधना है।
आज नैनों को तुम्हारे बाँचना है।
अब अकेले जिंदगी मुश्किल समझ लो,
उम्र सारी संग तेरे काटना है।
प्रेम जीवन सार समझो साथियों,
प्रेम पूजा ईश की आराधना है।
सांस का अस्तित्व धड़कन बिन कहाँ अब,
दूर तुम खुद से न करना प्रार्थना है।
सात जन्मों तक रहो तुम संग मेरे,
प्रेम राही ‘सूर्य’ की यह कामना है।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464