कामना-ऐ-इश्क़…!!
एक मनसा है प्रफुल्लित, कामना-ऐ-इश्क़ की,
कोई आके कह दे मुझको.. मैं तेरी हूँ.. मैं तेरी !
इतना हक़ जता दे मुझ पर, कर लूँ मैं उस पर ग़ुरूर !
वो मन के चक्षुओं से मेरी रूह तलक झाँक ले,
मेरे ओज़-स्वरुप को अपने मन में छाप ले !
वो देखे मुझे और ग़ुमान हो जाये,
मेरे इश्क़ को सातों आसमां मिल जाये !
मैं रग़-रग़ में उसके समा जाऊं,
वो ऐसा कुछ इंतज़ाम कर जाये !!
यूँ तो कहने से इश्क़ बढ़ता नहीं,
आज़माइशें इश्क़ को मज़बूत करती है !
वो नज़रों से छूँ ले दिल की गहराईयों को..
और मेरे इश्क़ को महसूस करें !!
खुले विचारों से तृप्त हो मन जिसका,
वही सच्चे दिल से इज़हार करें !
बेपरवाइयाँ भरी हो दामन में जिसकी,
कोई ऐसी हमसफ़र यॉर मिले !!
वो देखे मुझे तो एक शख्सियत दिखे,
वो ढूंढे मुझे तो मेरा अख़्स मिले !
मैं लिख दूँ उस पर दोनों जहां,
उसके होंठो पर मेरी नज़्म मिले !!
मैं मुस्कुराऊँ ज़रा तो वो झूम उठे,
मैं रो दूँ अगर तो उसका दिल जले !
उसके एहसास मुझसे ऐसे मिले,
जैसे दो रूह मिली हो आपस में गले !!
वो समझ ले मुझे तो मैं आसान हूँ,
मुझ-सा मिल जाये कहीं, ना ऐसा मैं इंसान हूँ !
वो कह दे मुझे कि.. मैं सिर्फ तेरी हूँ प्रिये,
फिर उसके लिए मेरी जान.. ये जहां.. सब कुर्बान है !!
❤️ LOVE RAVI ❤️