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31 Jan 2024 · 1 min read

कामनाओं का चक्र व्यूह

कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिपल चलता रहता है
अंतहीन इच्छाओं का, सिलसिला चलता रहता है
कामनाओं का पुतला है, कामनाएं बुनते रहता है
भौतिकवाद अंधानुकरण में, जीवन भर चलते रहता है
असीमित कामनाओं में फंसकर, जीवन इतिश्री कर लेता है
विन परिधि की इच्छाएं, जीवन में दुख का कारण है
सीमित परिधि में जीवन यापन, आनंद और सुख का कारण है
अंतहीन चाह मनुज को, कहां कहां ले जायेगी
इच्छा पूरी न होने पर,क़ोध से स्वयं को जलायेगी
कब तक इच्छाएं पूरी होंगी,या जीवन भर भटकायेंगी?
एक के बाद एक नई, सिलसिला निरंतर जारी है
पूरी होती है एक कामना,नई की फिर तैयारी है
कितनी-कितनी कामनाएं, करता रहता है पागल मन
विवेक रहित दौड़ते रहते, खोता रहता है जीवन धन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
184 Views
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